Ayurvedic Treatment for Diarrhea (डायरिया का उपचार आयुर्वेद के अनुसार)
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार जैसे व्यक्ति सिरदर्द ,खांसी और ज्वर से बहुत जल्दी ग्रसित हो जाता है उसी प्रकार डायरिया भी आज के समाज में सामान्य सी बीमारी हो गयी है।आधुनिक चिकित्सा के अनुसार यह एक चिंताजनक बीमारी मानी जाती है ।एक शोध के अनुसार जब मौसम परिवर्तन होता है उस समय यह बीमारी बहुत ज्यादा फैलती है ।इस बीमारी का मुख्य कारण लोगों का सफाई न रख पाना होता है ।आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार इस बीमारी में व्यक्ति को पेट के अंदर ऐंठन ,सूजन के साथ बहुत ज्यादा उल्टियां और दस्त लग जाते हैं ।यह एक पीड़ादायक बीमारी है।
डायरिया का परिचय
आयुर्वेद के अनुसार जब कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा पतले दस्त और बार बार उल्टियों से ग्रसित हो जाता है तो वह इस गंभीर बीमारी से पीड़ित होता है ।एक शोध के अनुसार यह बीमारी अब तक २ लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है ।अगर मनुष्य अपने आसपास सफाई का ध्यान रखे तो इस बीमारी से बचा रह सकता है ।इस लेख में हम डायरिया के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में जानकारी प्राप्त करेगें ।
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार डायरिया के प्रकार आइये जानते हैं
आयुर्वेद के अनुसार यह बीमारी तीन प्रकार की बताई गयी है
1. बहुत ज्यादा पतला मल
एक शोध के अनुसार अगर व्यक्ति को बार बार पानी के जैसा मल आ रहा है तो वह डायरिया से ग्रसित है ।यह परेशानी आयुर्वेद के अनुसार संक्रमण की वजह से होती है ।
2. मल के अंदर खून
इस समस्या के दौरान मल बहुत ही पतला पानी के जैसा होता है और उसके साथ रक्त भी निकलता है जिसको आधुनिक चिकित्सा के अंदर पेचिश के नाम से जाना जाता है ।
3. बार बार मल पतला आना
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार इस समस्या में आपका मल १० से १५ दिन तक पानी के जैसा बहुत ही पतला आता है ।
आयुर्वेद के अनुसार डायरिया होने के मुख्य कारण
- अगर कोई भी व्यक्ति डिब्बाबंद भोजन या फिर दूषित पानी का उपयोग करता है तो वह इस बीमारी से ग्रसित हो सकता है ।
- एक शोध के अनुसार अगर कोई बहुत ज्यादा परिवहन सफर करता है या फिर बहुत ज्यादा दिनों तक बाहर के भोजन का सेवन करता है तो वह डायरिया से पीड़ित हो सकता है ।
- अत्यधिक दवाइयों के सेवन से, जैसे दर्द कम करने की दवाईयां और पेट दर्द की दवाईयों की वजह से ।
- बहुत ज्यादा मीट सेवन करने की वजह से भी आप डायरिया से ग्रसित हो सकते हैं ।
- एक शोध के अनुसार रोटावायरस बच्चों को डायरिया से बहुत ज्यादा प्रभावित करता है ।
इस गंभीर बीमारी के लक्षण आइये जानते हैं
- बार बार पेट दर्द रहना
- पेट के अंदर सूजन महसूस होना
- अत्यधिक कमजोरी आना
- ज्वर हो जाना
- मल के अंदर रक्तस्त्राव
- उल्टियां आना
- शरीर में जकड़न
- बहुत ज्यादा तनाव
आयुर्वेद के अनुसार डायरिया का उपचार, आइये जानते हैं
1. नारियल पानी लाभकारी
अगर आपको बार बार पानी जैसा मल आ रहा है तो नियमित रूप से नारियल पानी का सेवन करना लाभकारी माना जाता है ।यह शरीर के अंदर पानी की कमी को पूरा कर पानी के स्तर को संतुलित रखने में सहायक साबित होता है ।इसके उपयोग के लिए आपको नियमित रूप से १ गिलास नारियल पानी का सेवन अवश्य करना चाहिए ।यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक माना जाता है ।यह डायरिया की बीमारी को बहुत जल्दी दूर करने में मददगार होता है ।
व्याख्या– इस श्लोक में कहा गया है कि नारियल शीतल ,देर से हजम होने वाला ,हाजमे को बढ़ाने वाला ,पेट रोगों को दूर करने वाला ,शरीर को मजबूत बनाने वाला ,रक्त को बढ़ाने वाला ,शरीर में वात और पित्त को संतुलित रखने वाला ,रक्तविकारों को दूर करने वाला और त्वचा रोगों को दूर करने वाला होता है ।
संदर्भ- भावप्रकाश निघण्टु, (अमरदिफलवर्ग),श्लोक -41 ।
2. चावल का पानी फायदेमंद औषधि
आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार चावल का पानी आपकी बार बार मल आने की समस्या को कम कर देता है ।जिससे वह इस गंभीर बीमारी को खत्म करने में सहायक साबित होता है।इसके उपयोग के लिए पके हुए चावलों से आधा गिलास पानी निकाल कर उसको दस्त लगने के तुरंत बाद पी लेने से यह समस्या बहुत जल्दी दूर हो जाती है ।अगर दिन में ३ से ४ बार इस पानी का सेवन किया जाए तो यह डायरिया की बीमारी को जल्दी दूर करने में असरदार साबित होता है ।
3. मधु का सेवन लाभकारी
आयुर्वेद चिकित्सा में डायरिया से पीड़ित व्यक्ति को मधु का सेवन करना लाभकारी माना जाता है ।मधु के अंदर भरपूर मात्रा में एंटी बैक्टीरियल गुण पाया जाता है जो आपको डायरिया के संक्रमण से बचाए रखने में मददगार साबित होता है ।इसके सेवन के लिए आपको सुबह और शाम २ चम्मच मधु का सेवन करना चाहिए ।इस प्रयोग का नियमित सेवन डायरिया की बीमारी को बहुत जल्दी खत्म कर देता है ।
4. अदरक का सेवन मददगार
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार अगर भोजन के अंदर हानिकारक तत्व हैं तो उनको नष्ट करने के लिए अदरक का उपयोग किया जाता है ताकि भोजन के अंदर पोषक तत्वों की शक्ति बनी रहे ।अदरक का सेवन पेट के अंदर ऐंठन और सूजन को दूर करने में लाभकारी माना जाता है ।डायरिया की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति अगर अदरक की चाय का रोजाना सेवन करे तो वह इस गंभीर बीमारी से बच सकता है।शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाने में अदरक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
व्याख्या – इस श्लोक में कहा गया है कि अदरक वात और कफ दोष को संतुलित रखने वाला ,सूजन को कम करने वाला ,कब्ज को दूर करनेवाला ,गला रोगों और सर्दी को दूर करने वाला ,कड़वा ,गरम,भूख बढ़ाने वाला ,कामशक्ति को बढ़ाने वाला और हृदय रोगों में अच्छी औषधि माना गया है ।
संदर्भ – धन्वंतरि निघण्टु, (सुवर्णदिवर्ग ),श्लोक –८४|
5. दही का सेवन उत्तम उपाय
एक शोध के अनुसार अगर डायरिया से पीड़ित व्यक्ति दही का उपयोग करता है तो यह उसके लिए फायदेमंद मानी जाती है ।यह डायरिया के संक्रमण को कम करने में मददगार मानी है ।देसी गाय के दूध से बनी दही आपके शरीर में आंतों को साफ कर मल को बांधने में असरदार साबित होती है ।आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार, दही का नियमित सेवन पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने के साथ -साथ पेट को अनेक बिमारियों से बचाए रखने में सहायक माना गया है ।