Ayurvedic Treatment of Urticaria (शीतपित्त का उपचार आयुर्वेद के द्वारा)
शीतपित्त को आयुर्वेद की भाषा में त्वचा रोग या त्वचा एलर्जी के नाम से भी जाना जाता है जिसकी वजह से आपकी त्वचा पर खुजली ,लाल घेरे और दाद हो जाते हैं ।त्वचा की यह समस्याएं आगे चल कर बड़ी बीमारी का रूप ले लेती हैं | सामान्य भाषा में शीतपित्त को पित्त रोग या पित्त हो जाना कहा जाता है यह आपके पूरे शरीर की त्वचा को प्रभावित करती है। एक शोध के अनुसार शीतपित्त की समस्या ठंडे वातावरण और हानिकारक वायु के संपर्क की वजह से होती है ।त्वचा के किसी असंगत वस्तु के संपर्क में आने से ये समस्या उत्पन्न हो सकती है जिसकी वजह से–
- शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और शरीर बीमारियों से लड़ने में असक्षम हो जाता है जिसकी वजह से शरीर में –
- वात पित्त और कफ दोष असंतुलित हो जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप —
- त्वचा में अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं जैसे —
- त्वचा में शीतपित्त का हो जाना ,उदर्द और कुष्ठ रोग जैसी परेशानियां आने लग जाती हैं ।
व्याख्या – इस श्लोक में कहा गया है कि पिपासा ,अरुचि ,हल्लास ,शरीर की शिथिलता ,अंगों का भारीपन और नेत्रों के अंदर लाली ये सभी शीतपित्त के पूर्वरूप हैं।
संदर्भ- भावप्रकाश निघण्टु ,(सूत्रस्थान ),चैप्टर-५५ ,श्लोक – २ ।
त्वचा की इन सभी बीमारियों को दूर करने के लिए निम्न प्रकार की चिकित्सा का उपयोग करना फायदेमंद साबित हो सकता है
1. त्वचा रोगों को दूर करने वाली औषधियाँ
आयुर्वेद के अनुसार शीतपित्त ,उदर्द और कुष्ठ रोगों को दूर करने की अनेक प्राकृतिक औषधियाँ है जो इन हानिकारक बीमारियों के संक्रमण को रोकने में सहायक साबित होती हैं जैसे-
- मधुयष्टी, जाहर मोहरा पिष्टी ,यशद एवं भृंगराज , मुक्ताशुक्ति भस्म,कण्टकारी,गुडूची,हरिद्रा ,शिरीष एवं स्फटिका (भस्म),अकीक पिष्टी ,स्वर्ण (भस्म ), मुक्ता (पिष्टी ),प्रवाल(पिष्टी ,भस्म )।
2. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली औषधियाँ
आपके शरीर के स्वस्थ रहने के लिए उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना बहुत जरूरी है आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और त्वचा रोगों से सुरक्षित रखने वाली औषधियाँ –
- भल्लातक ,कालमेघ ,दुग्धिका एवं भूम्यामलकी
- गुडूची ,अश्वगंधा (चूर्ण ),तुलसी (स्वरस ),कटुकी, आरोग्यवर्धिनी वटी स्वर्ण भस्म ,ताम्र भस्म आदि ये सभी औषधियाँ आपके शरीर को अनेक बीमारियों से बचाने में लाभकारी साबित होती हैं ।
3. लीवर को स्वस्थ रखने वाली औषधियाँ
आयुर्वेद के अनुसार ऐसी अनेक औषधियाँ हैं जो आपके लीवर को स्वस्थ रखने के साथ त्वचा को भी अनेक बीमारियों से सुरक्षित रखती हैं।यह औषधियाँ लीवर को मजबूत बनाए रखने में सहायक साबित होती हैं ये लाभकारी औषधियाँ निम्न हैं –
- भूम्यामलकी ,काकमाची ,शरपुंखा
- भृंगराज ,गुडूची ,कटुकी ,कासनी,पुनर्नवा , घृतकुमारी आदि
4. स्थानीय भागों की एलर्जी को दूर करने वाली औषधियाँ
आयुर्वेद में ऐसी अनेक प्राकृतिक औषधियाँ हैं जो आपके शरीर के स्थानीय भागों की त्वचा एलर्जी को दूर करने में लाभकारी साबित होती हैं जैसे –
- मधुयष्टी,गुडूची ,कण्टकारी ,कृष्ण -मरिच,हरिद्रा ,दारुहरिद्रा ,मंजिष्ठा,सारिवा ,निम्ब एवं स्फटिक ,गैरिक,चंदन ,यशद
5. सामान्य रसायन औषधियाँ
यह औषधियाँ त्वचा की बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को शक्ति प्रदान करने के साथ साथ शीतपित्त ,उदर्द और कुष्ठ रोगों को दूर करने में सहायक साबित होती हैं जैसे –
- शिलाजतु ,आमलकी , मुक्ताशुक्ति,अभ्रक ,यशद आदि ये सभी लाभकारी औषधियाँ आपके शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा करने में सहायक साबित होती हैं ।
6. सूजन को दूर करने में सहायक औषधियाँ
एक शोध के अनुसार अगर आपको त्वचा में शीतपित्त ,उदर्द और कुष्ठ रोग की समस्या होगी तो त्वचा के उसी भाग पर सूजन का होना सामान्य बात है इसलिए अगर आप त्वचा रोगों की उपरोक्त औषधियों के साथ साथ सूजन को कम करने वाली निम्न औषधियों का सेवन करते हैं तो आपका त्वचा रोग और उसकी सूजन जल्दी ठीक हो सकते हैं ये औषधियाँ इस प्रकार हैं —
- श्ललकी ,एरंडमूल,जातीफल एवं गुग्गल योग ,दशमूल योग आदि
7. मानसिक शक्ति को बढ़ाने वाली औषधियाँ
ऐसा देखा गया है कि अगर आपकी मानसिक शक्ति कमजोर है और आप बहुत ज्यादा चिंतित और तनाव में रहते हैं तो आप शीतपित्त ,उदर्द और कुष्ठ रोग जैसी त्वचा की हानिकारक समस्याओं से ग्रसित हो सकते हैं ऐसी स्थिति में आपको मानसिक शक्ति को बढ़ाने वाली निम्न औषधियां का सेवन करना फायदेमंद साबित हो सकता है जैसे
- ब्राह्मी ,तगर एवं ज्योतिष्मती ,अकरकरा ,वचा ,गण्डीर आदि औषधियों आपको मानसिक तनाव से दूर रखने के साथ साथ मानसिक बीमारियों को दूर करने में सक्षम होती हैं जिससे आपका शरीर शीतपित्त ,उदर्द और कुष्ठ रोग जैसी त्वचा की हानिकारक बीमारियों से बचा रहता है ।
आइये जानते हैं प्लेनेट आयुर्वेदा वैद्यशाला में तैयार औषधियों के बारे में
(प्लेनेट आयुर्वेदा वैद्यशाला ) में शीतपित्त ,उदर्द और कुष्ठ रोग जैसी त्वचा की हानिकारक बीमारियों को दूर करने के लिए 100% प्राकृतिक जड़ी बूटियों के मिश्रण से जाँच एवं प्रयोग करके औषधियाँ तैयार की गयी हैं यह औषधियाँ किसी भी हानिकारक रसायन, संरक्षक, स्टार्च, योजक, रंग, खमीर, आदि से रहित होती है ।इनका नियमित सेवन आपके शरीर को त्वचा रोगों से बचाने के साथ साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक साबित होता है ।
1. गंधक रसायन
गंधक रसायन एक प्रभावी आयुर्वेदिक सूत्रीकरण से तैयार किया गया है जो वात, पित्त और कफ दोष को संतुलित रखने में सक्षम है, जिसमें जीवाणुरोधी, रोगाणुरोधी, एंटीवायरल और बुखार को कम करने वाले गुण होते हैं, जो विभिन्न स्थितियों में उपचार प्रभाव प्रदान करते हैं ।
त्वचा को बीमारियों से दूर रखने के लिए यह कुशल आयुर्वेदिक उपचार , खुजली और जलन से राहत प्रदान करता है, खुजली को कम करने और खुजली के साथ-साथ सोरायसिस में उपयोगी होता है। चकत्ते को कम करने में सक्षम है, और एक्जिमा से राहत प्रदान करता है। इसकी रक्त शुद्ध करने वाली गतिविधि मुहांसों और फुंसियों को कम करने में मदद करती है और त्वचा की रंगत को सुधारने में मदद करती है। यह कुष्ठ रोग के साथ-साथ फोड़े आदि को ठीक करने के लिए भी फायदेमंद माना गया है।यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के गुण रखता है और इसलिए संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
खुराक
बच्चों के लिए
- 5 साल तक: प्रत्येक दिन 250 मिलीग्राम से कम ।
- 5-12 वर्ष: प्रत्येक दिन विभाजित खुराकों में 250 मिलीग्राम -1 ग्राम।
वयस्कों के लिए
- विभाजित खुराक में 1-3 ग्राम प्रत्येक दिन।
- भोजन से पहले या बाद में 1-2 बार या आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श अनुसार।
2. किशोर गुग्गुल
यह आयुर्वेदिक औषधि प्राकृतिक रक्त शोधक के रूप में काम करती है। इस हर्बल उत्पाद का उपयोग बढ़ा हुआ यूरिक एसिड, गठिया, घाव, पेट के रोग, कब्ज, अपच और मधुमेह आदि के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर पेट और आंतों के कार्यों को बेहतर बनाने में मदद करता है।
खुराक
भोजन के बाद दिन में दो या तीन बार दो गोलियां लेनी चाहियें ।
3. नवकार्षिक चूर्ण
यह एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक सूत्रीकरण है जो प्राचीन काल से प्रयोग होता आ रहा है । “चक्रदत्त संहिता” से एक प्रसिद्ध सूत्रीकरण विशेष रूप से गठिया में अनुशंसित है। विशेष रूप से जब यूरिक एसिड बहुत अधिक होता है और पैर की अंगुली के जोड़ बहुत अधिक दर्द होता है यह अन्य प्रकार के गठिया में भी प्रभावी है क्योंकि यह “वात” से छुटकारा दिलाता है और शरीर के भीतर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है। इसमें मौजूद जड़ी बूटियाँ एक समान रूप से एक साथ काम करती हैं और सूजन, दर्दनाक जोड़ों में प्रभावी होती हैं। इसमें मौजूद त्रिफला होता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है और हर दूसरे रोग में उपयोगी होता है। इस औषधि के अंदर नीम, कुटकी , मंजिष्ठा रक्त को शुद्ध रखने में सहायक होते है और आपके शरीर में “पित्त” और गर्मी की अस्थिरता को ठीक करते है।इस औषधि में गिलोय का मिश्रण इम्युनोमोड्यूलेटर है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक साबित होता है ।
खुराक
1 चम्मच प्रतिदिन दो बार भोजन के बाद, सादे पानी के साथ।
4. इम्यून बूस्टर कैप्सूल्स
इम्यून बूस्टर प्लैनेट आयुर्वेद में तैयार एक अद्भुत हर्बल उत्पाद है जो अपने नाम को स्पष्ट करते हुए जल्दी से पूरे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है यह लगभग सभी स्वास्थ्य रोगों में बहुत उपयोगी है। इम्यून बूस्टर उन बच्चों में लाभकारी होता है जिन्हें बार-बार साइनस होता है, खांसी और सर्दी के साथ गले में संक्रमण होता है। यह अस्थमा, पुरानी खांसी, मधुमेह, यकृत में सूजन, कैंसर, संक्रमण आदि रोगों में फायदेमंद रूप में काम करता है। यह महिलाओं में बार-बार होने वाले मूत्र मार्ग संक्रमण को जल्दी दूर करने में सहायक साबित होता है ।
खुराक
2 कैप्सूल एक या दो बार दैनिक।