विडंग प्राकृतिक पौधे के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Vidanga)

विडंग पौधे का परिचय

विडंग (एम्बेलिया रिब्स) एक झाड़ीनुमा पौधा है, जो अनेक औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इस पौधे की टहनियाँ पतली और लचीली होती  है।आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार यह काली मिर्च के समान रंग होने के कारण दूसरी काली मिर्च के नाम से भी जाना जाता है । यह पौधा सफेद फूल वाला होता है । इस औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटी का विकास  भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में बहुत ज्यादा होता है जैसे निचले और मध्य हिमालय, पश्चिमी घाट, दक्कन, दक्षिण भारत, असम, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु आदि ।भारत देश के अलावा यह भूटान, चीन, पाकिस्तान और नेपाल में भी पाया जाता है।प्राचीन काल से ही इस औषधीय पौधे की जड़ और फलों का इस्तेमाल आयुर्वेद के अंदर  अनेक रोगों की औषधियाँ बनाने के लिए किया जाता रहा है ।इस लेख में हम इस औषधीय पौधे के आयुर्वेदिक गुणों के बारे में जानेगें ।

विडंग के बारे में आयुर्वेद में कहा गया है कि

ancient references

व्याख्या – इस श्लोक में विडंग के  विभिन्न पर्यायवाची नाम और गुणों के बारे में आयुर्वेद में बताया गया है।विडंग के लिए विभिन्न पर्यायवाची शब्द हैं – अमोघा, चित्रतण्डुल कृमिघ्न, जंतुनाशन, बेल, और तण्डुल । यह गर्म के साथ स्वाद में तीखा है। यह रुक्ष है, पचाने के लिए हल्का है और पाचक अग्नि को उत्तेजित करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह जड़ी-बूटी शरीर के अंदर कफ और वात दोष को संतुलित रखने वाली होती है  और जलोदर, कृमि संक्रमण, पेट फूलना, कब्ज और पेट दर्द में बहुत फायदेमंद साबित होती है।

सन्दर्भ – भावप्रकाश निघण्टु ,(हरितक्यादिवर्ग ),श्लोक १११-११२ ।
विडंग

विडंग के औषधीय गुण आइये जानते हैं

 ये इस प्रकार हैं 

  • रस (स्वाद) – कषाय (कसैला), कटु (तीक्ष्ण) गुण – लघु  रुक्ष, तीक्ष्ण
  • वीर्य- उष्ण (गर्म)
  • विपाक (पचने के बाद) – कटू(तीखा)
  • एंटी-हेल्मिंथिक – यह परजीवी के इलाज में उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटी है
  • डायरिया को रोकने वाली – यह दस्त को रोकने के लिए प्रयोग की जाने वाली जड़ी-बूटी है
  • कुष्ठ रोग – यह त्वचा के विकारों को ठीक करने के लिए प्रयोग की जाने वाली जड़ी-बूटी मानी जाती है।
  • कृमि – आयुर्वेद के अनुसार इस जड़ी बूटी का  उपयोग कृमि रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है जैसे संक्रमण आदि।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विडंग के फायदे

आयुर्वेद चिकित्सा के अंदर विडंग  (एम्बेलिया रिब्स) अनेक औषधीय गुणों वाली जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है और इसका उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। इसका उपयोग असंतुलित वात और कफ के बीच संतुलन बनाने के लिए किया जाता है ।यह औषधीय जड़ी बूटी पाचन  में सुधार करने के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती  है। इसके स्वास्थ्य लाभ इस प्रकार हैं

1. त्वचा की बीमारियों जैसे मुंहासे या पिंपल्स में दूर करने में सहायक

विडंग रक्त को स्वच्छ रखने वाली अच्छी औषधि मानी गयी है, यह  सूजन को कम करता है, प्राकृतिक और चमकदार त्वचा प्रदान करने में सहायक होता है और यह लसीका पर भी लाभकारी होता है। यह औषधि बाहरी और आंतरिक रूप से उपयोग किए जाने पर मुँहासे और पिंपल्स को खत्म करने में मददगार साबित होती  है। यह नाक की सूजन को कम करने में भी अच्छा परिणाम देता है। इसके अंदर एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा की समस्याओं को दूर करने में सहायक साबित होते हैं । आयुर्वेद के अनुसार मुख्य रूप से ताजी पत्तियों का लेप  त्वचा की समस्याओं के लिए उपयोगी माना जाता  है।

2. कब्ज में फायदेमंद

विडंग अपच का इलाज करने में मददगार साबित होता है और पाचन शक्ति को दुरुस्त रखने के साथ-साथ पेट कि समस्याएं जैसे  कब्ज ,गैस ,बदहजमी आदि को दूर करने में लाभदायक माना जाता है । यह शरीर कि जठराग्नि  को सामान्य करने में मदद करता है और पाचन में सुधार करता है।अगर इसकी जड़ का अर्क तैयार करके सुबह खाली पेट एक कप अर्क का सेवन किया जाए तो यह प्रयोग पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के अलावा कब्ज की समस्या को बहुत जल्दी दूर करने में असरदार साबित होता है ।

3. शुगर को रखे संतुलित

विडंगशरीर के अंदर रक्त में शुगर स्तर को नियंत्रित करने में बहुत मददगार साबित होता है ।यह शरीर की अत्यधिक चर्बी को कम करने में सहायक होता है क्योंकि यह मेद धातु पर काम करता है।

4. अपच को दूर करने में सहायक

विडंग एक अच्छी  भूख बढ़ाने वाली औषधि  है। यह शरीर के अंदर जठराग्नि को उत्तेजित करने में मददगार  और दर्द, सूजन और पेट फूलने की समस्याओं को दूर करने में लाभकारी साबित होता है । यह  पाचन में सुधार करता है। यह जड़ी-बूटी  शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी सहायक होती है ।

5. बवासीर को खत्म करे

यह जड़ी-बूटी आंत की गतिशीलता को उत्तेजित करती  है और मूत्राशय के रास्ते हानिकारक बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मददगार साबित होती है। यह भूख  को बढ़ाता है और शरीर के अंदर  कब्ज को ठीक करता है जो बवासीर का सबसे बड़ा कारण होती  है । इसलिए बवासीर से ग्रसित व्यक्ति को इस औषधीय गुणों से भरपूर बूटी का सेवन करना चाहिए ।

6. रक्त को स्वच्छ रखने में असरदार

विडंगरक्त शोधक के रूप में कार्य करता है और हानिकारक अतिरिक्त विषाक्त पदार्थों को साफ करने के लिए उपयोग किया जाता है ।यह हानिकारक रक्त को शरीर के अंदर नष्ट करने में सहायक साबित होता है ।

7. दांतों के लिए लाभदायक

यह जड़ी बूटी दन्त संबंधित समस्याओं जैसे दर्द, सूजन, क्षय आदि में बहुत उपयोगी साबित होती है।अगर इस जड़ी बूटी के चूर्ण से मंजन किया जाए तो यह मसूड़ों को मजबूत बनाने के साथ-साथ दांतों को साफ और बिमारियों से सुरक्षित रखता है ।

8. गले के लिए फायदेमंद

यह जड़ी बूटी मुंह के छालों और गले की खराश के इलाज में बहुत मददगार साबित होती है।इसके इस्तेमाल के लिए इसकी जड़ से अर्क तैयार करके उसके साथ गरारे करने से आपकी मुँह के छाले और गले की खराश बहुत जल्दी दूर हो जाती  है ।

(प्लेनेट आयुर्वेदा वैद्यशाला) में तैयार जड़ी बूटियां

प्लेनेट आयुर्वेदा वैद्यशाला  के अंदर विडंग के इस्तेमाल से १०० % आयुर्वेदिक ,बिना किसी हानिकारक रसायन से रहित औषधियाँ तैयार की गयी है जो इस प्रकार से हैं

1. विडंगचूर्ण

यह जड़ी बूटी विडंग (एम्बेलिया रिब्स) का एक शुद्ध अर्क है और आपके शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक साबित होता है। यह चूर्ण  आंतरिक रूप से और साथ ही बाहरी रूप से उपयोग किया जा सकता है। इसमें एंटी-हेल्मिंथिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और यह , दाद, खुजली  आदि के खिलाफ भी काम करता है। इसका उपयोग संक्रामक त्वचा की समस्याओं के इलाज के लिए भी किया जाता है, यह  पेट की सूजन और दर्द से राहत देता है, पाचन क्रिया को दुरुस्त  और भूख में सुधार करता है, कब्ज से छुटकारा दिलाता है, शरीर के चयापचय कार्यों को बनाए रखता है और विषाक्त पदार्थों को खत्म  करता है।

2. पुनर्नवा मंडूर

यह गोलियों के रूप में होता है, और पुनर्नवा , त्रिकटु, आमलकी, चव्य, हरिद्रा, चित्रक मूल, आदि से युक्त होता है। यह बवासीर, गाउट, सभी प्रकार के उपचार में बहुत उपयोगी साबित होता  है। एनीमिया, यकृत की समस्याएं, क्रोनिक कोलाइटिस, हाइपर्यूरिसीमिया और भी अनेक रोगों में यह औषधि लाभकारी होती है । आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार  यह मूत्रवर्धक गुणों के कारण उच्च रक्तचाप और एडिमा (शोथ) के इलाज में भी बहुत सहायक मानी गयी  है।

3. संजीवनी वटी

यह भी गोलियों के रूप में आती है और यह विडंग, त्रिफला, पिप्पली, अदरक, आदि से बनी होती है। यह हमारे शरीर में पित्त और वात दोष को संतुलित करने में मदद करती है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में भी सहायक साबित होती  है। । इसका उपयोग अपच, जठरशोथ, पेट फूलना, हैजा, जलन, मधुमेह, आदि के इलाज के लिए किया जाता है। इसमें एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, इसलिए वायरल संक्रमण जैसे बुखार, में उपयोगी होती  है। जहरीले कीड़ों  के काटने, चयापचय संबंधी विकारों में फायदेमंद और शरीर को अनेक बिमारियों से सुरक्षित रखने में सहायक होती  है।

4. चंद्रप्रभा वटी

यह अनेक औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी बूटी है जो शिलाजीत, गुग्गुल, आमलकी, चव्य आदि से तैयार की गयी  है। यह शरीर में कफ  और वात दोष को संतुलित करती है, विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है।यह जड़ी-बूटी आनुवांशिक समस्याओं जैसे – मधुमेह और इसकी जटिलताओं, डिसुरिया, गुर्दे की पथरी, मूत्र पथ के संक्रमण, अल्सर, सामान्य दुर्बलता, पीठ दर्द  आदि में फायदेमंद साबित होती है । यह शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित होती  ।

5. किशोर गुग्गुल

किशोर गुग्गुल एक रसायन औषधि है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से शरीर में पित्त दोष को संतुलित  करने के लिए किया जाता है, यह आपके शरीर को सभी सूजन संबंधी समस्याओं, सोरायसिस, , दिल  की सूजन, मुँहासे, आदि को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह औषधि  शुगर , यूरिक एसिड के स्तर और जोड़ों की समस्याओं को संतुलित करता है और रक्त विकारों में उपयोगी एक अच्छा रक्त शोधक  है। यह घावों के शीघ्र उपचार को भी बढ़ावा देता है और त्वचा को रोगों से बचाए रखने में लाभदायक साबित होता है ।

6. वेट गेन फॉर्मूला

यह वजन बढ़ाने और अन्य स्वास्थ्य लाभों के लिए प्लेनेट आयुर्वेदा  द्वारा तैयार एक अच्छी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। यह विभिन्न जड़ी-बूटियों जैसे कि हरितकी, अमलकी, अश्वगंधा, सौंफ, पिप्पली, जीरक, आदि के मिश्रण से तैयार की गयी है। ये सभी जड़ी-बूटियाँ अनेक औषधीय गुणों के  रूप से काम करती हैं और शरीर के चयापचय को नियंत्रित करके प्राकृतिक रूप से वजन बढ़ाने में मदद करती हैं।

खुराक

  • चूर्ण – 3-5 ग्राम सुबह और शाम रोजाना ।
  • काढ़ा – 3-15 मि।ली। सुबह और शाम रोजाना ।

 

Spread the love

Dr. Vikram Chauhan

Dr. Vikram Chauhan (MD - Ayurveda) is a Globally Renowned Ayurveda Physician with Expertise of more than 25 Years. He is the CEO & Founder of http://www.PlanetAyurveda.com, a leading Ayurveda Brand, Manufacturing, and Export Company with a Chain of Clinics and Branches in the US, Europe, Africa, Southeast Asia, India, and other parts of the World. He is also an Ayurveda Author who has written Books on Ayurveda, translated into Many European Languages. One of his Books is "Ayurveda – God’s Manual for Healing". He is on a Mission to Spread Ayurveda All Over the Planet through all the Possible Mediums. With his Vast Experience in Herbs and their Applied Uses, he is successfully treating Numerous Patients suffering from Various Ailments with the help of the Purest Herbal Supplements, Diet, and Lifestyle, according to the Principles of Ayurveda. For More Details, visit. Read More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *