How To Treat Brain Fever (Encephalitis/Meningitis/Cerebral / Scarlet Fever) – मस्तिष्क बुखार एक जानलेवा बीमारी
यह बुखार दिमाग में होता है और सबसे ज्यादा ये बुखार बच्चों को प्रभावित करता है। बच्चों में ये बीमारी ३ साल से १६ साल तक के बच्चों में बहुत ज्यादा पाई जाती है। इस बीमारी के फैलने की वजह सूअर और जंगली पक्षियों को बताया जा रहा है। इस बीमारी से अब तक बहुत सारे बच्चों की जान जा चुकी है। इस बीमारी के वायरस में १०० में से ३०% बच्चों की मौत हो जाती है। भारत में यह बीमारी उत्तरप्रदेश ,बिहार ,झरखंड और भी बहुत राज्यों में अपने पैर पसार चुकी है। इसके वायरस को मनुष्य में मछरों द्वारा फैलाया गया है ।इस बीमारी के फैलने की वजह लोगों को बीमारी के लक्ष्णों के बारे में जानकारी ना होना है। एक सरकारी अध्यन के अनुसार भारत के अंदर साल में ६०० से ७०० बच्चे इस जानलेवा बीमारी के कारण मौत के मुँह में चले जाते हैं। यह ज्यादातर बच्चों को ही अपना शिकार बनाती है। सबसे पहले भारत में यह बीमारी १९५५ में तमिलनाडु में आई थी। अगर आज की बात करें तो यह बीमारी उतर प्रदेश की सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई है। गोरखपुर और कुशीनगर इस बीमारी के सबसे ज्यादा प्रभावित जिले हैं ।
आइये जानते हैं मस्तिष्क बुखार के सबसे बड़े लक्ष्णों के बारे में
1. बुखार और सिर दर्द का कम और ज्यादा होना
जब आपको मस्तिष्क बुखार की शुरुआत होगी तो आपको सबसे पहले हल्का सिर दर्द और बुखार हो जाएगा परन्तु जब इस बुखार का वायरस तेज होगा तो आपको बहुत ज्यादा सिर दर्द और बुखार के साथ आपका शरीर भी दर्द करने लगेगा और अस्थमा का अटैक भी आपको इस बुखार में पड़ सकता है। इस बुखार में मरीज का कोमा में जाना भी स्वभाविक होता है। इस बीमारी की वजह से बच्चे के दिमाग में भी बहुत सारे वायरस फैल सकते हैं ।
2. आपके गले का अकड़ जाना
जब आपको मस्तिष्क के बुखार का वायरस प्रभावित करेगा तो आपकी गर्दन अकड़ जाएगी और आपको श्वास नली रुकने लगेगी ,साँस लेने और छोड़ने में परेशानी होने लगेगी ।
3. शरीर का कमजोर पड़ जाना
मस्तिष्क ज्वर होने पर आपका शरीर बहुत कमजोर पड़ने लगेगा। आपको खाना पीना कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा ।
4. थकावट महसूस होना
एक अध्यन के अनुसार जब मस्तिष्क के बुखार का वायरस आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करेगा तो आपका कुछ भी करने का मन नहीं करेगा और आप सारा दिन थका थका महसूस करोगे। इस वायरस में आपको सुबह से शाम तक थकावट और सुस्ती लगती रहेगी ।
5. भूख का कम हो जाना
ऐसा देखा गया है कि जब भी आपके शरीर में मस्तिष्क बुखार का वायरस आएगा तो आपको खाने और पीने की इच्छा होनी बंद हो जाएगी और आपके सामने कुछ भी खाना रख दें तो आप उससे मुँह चुरा लेगें। ये एक लक्ष्ण भी मस्तिष्क के बुखार का हो सकता है इसलिए अगर आपको ऐसा आभास होता है तो उसकी तुरंत जाँच करवा लेनी चाहिए ।
बच्चों के अंदर अलग प्रकार के लक्ष्ण नजर आते हैं जैसे
- बच्चों का शरीर एकदम से अकड़ जाता है और उनके शरीर के भाग आसानी से मूड भी नहीं पाते हैं ।
- त्वचा के ऊपर लाल घेरे हो जाते हैं ।
- बच्चों को भूख बिल्कुल भी नहीं लगती और दूध से तो बहुत दूर रहने लग जाते हैं ।
- बहुत ज्यादा गुसा आने लग जाता है और छोटी छोटी बातों पर नाराज हो जाते हैं ।
- बच्चों का शरीर एकदम से कमजोर हो जाता है ।
इस मस्तिष्क के बुखार से कैसे बचा जा सकता है आइये जानते हैं
- बारिश के पानी से खुद को दूर रखें और इस समय में भोजन ताजा और स्वस्थ लें ।
- नदियों नालों और गंदे पानी के ठहराव से अपने आप को दूर रखें इस पानी में बुखार के वायरस वाले मछर हो सकते हैं
- रात को सोते समय बच्चों और खुद को मछरों से बचाने के लिए कीटनाश का प्रयोग जरूर करना चाहिए ।
- शाम के समय बच्चों को ऐसे कपड़े पहनाएं की उनका शरीर अच्छे से ढक जाए और वो मछरों से बचे रहें ।
- मस्तिष्क के बुखार को दूर करने के लिए सरकार ने सार्वजनिक अस्पतालों में टीके की सुविधा भी दी है ।
प्लेनेट आयुर्वेदा द्वारा अलग अलग जड़ी बूटियों का मिश्रण करके मस्तिष्क के बुखार के लिए बहुत अच्छी औषधि तैयार की गयी है जो इस बुखार में बहुत लाभदायक है।आइये जानते हैं क्या है वह औषधियाँ और क्या है उनके गुण
1. ब्राह्मी
यह बहुत ही उपयोगी और अनेक गुणों से भरपूर औषधि मानी गयी है। इसके अंदर ऐसे बहुत से पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जो रोगों से लड़ने की आपकी क्षमता को बढ़ा देते हैं ।यह आपके शरीर की थकान और जकड़न के लिए काफी फायदेमंद है। इसको दिन में १ बार सुबह को लेना उपयोगी होता है ।
व्याख्या– इस श्लोक में ब्राह्मी के गुणों के बारे में बता रहे है इस श्लोक में कहा गया है कि सर्दी, कड़वा, शोफ, एनीमिया, बुखार, कुष्ठ रोग, और प्लीहा के रोग, वात और कफ को शांत करता है और भूख बढ़ाने का काम करता है|
संदर्भ -धनवंतरि निघण्टु |
2. करक्यूमिन
प्लेनेट आयुर्वेदा की वैद्यशाला में जाँच और प्रयोग के बाद तैयार करक्यूमिन कैप्सूल्स और पाउडर अलग अलग औषधियों के मिश्रण से बनाया जाता है। इसके अंदर हल्दी जैसी महत्वपूर्ण औषधि का मिश्रण किया गया है जो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को दूर करने में भी सक्षम है। इस औषधि का सेवन भी दिन में दो बार करना चाहिए।
व्याख्या– इस श्लोक में करक्यूमिन के गुणों के बारे में बताया गया है कि कड़वा ,रुखा ,गरम होता है, विषाक्तता को ठीक करता है, बहुमूत्रता, खुजली , कुष्ठ रोग , कृमि संक्रमण, नाशिका खुजली , अरुचि, यह परिवर्तनकारी और शोधक है|
संदर्भ -धनवंतरि निघण्टु |
3. अश्वगंधा
ये औषधि कितनी महत्वपूर्ण और गुणकारी है ये बात सभी को पता है यह औषधि हिमालय की पहाड़ियों में ५००० की ऊंचाई में बारिश के मौसम में ही प्राप्त होती है। यह औषधि मस्तिष्क बुखार के लिए बहुत लाभकारी है । इस औषधि का सेवन दिन में एक बार सुबह ही करना फायदेमंद होता है ।
व्याख्या– इस श्लोक में अश्वगंधा के दूसरे नामों के बारे में बताया गया है यह श्लोक कहता है कि वाजिगंधा,कंकका,अस्वारोहका ,वराहकर्णी ,तुरंगी ,बाल्य और वजीकारी नाम बताए गए हैं ।
संदर्भ -धनवंतरि निघण्टु |
4. तुलसी
तुलसी के पौधे से तैयार प्लेनेट आयुर्वेदा वैद्यशाला में तुलसी कैप्सूल्स और चूर्ण तैयार किया गया है यह औषधियाँ हृदय रोग,पाचन तंत्र, कफ रोग , मस्तिष्क की बीमारी , शरीर की पीड़ा और भी बहुत सारी समस्याएं हैं जिनके लिए ये औषधियाँ बहुत उपयोगी मानी गयी है ।यह औषधि दिन में २ बार सुबह और शाम को लेना कारगर माना गया है ।
व्याख्या – यह श्लोक तुलसी के गुणों के बारे में बता रहा है इस श्लोक में कहा गया है कि हल्का , गरम, रुखा , कफ के लिए उपयोगी ,कृमिनाशक और क्षुधावर्धक है ।
संदर्भ -धनवंतरि निघण्टु |